MPPSC का बड़ा धोखा: लाखों बेरोजगार युवाओं के सपनों से खिलवाड़
परीक्षा रद्द, पैसा डूबा, भविष्य अधर में
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने एक बार फिर प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं के साथ खिलवाड़ किया है। Food Safety Officer (FSO) की भर्ती के लिए 17 साल बाद निकली वैकेंसी को अचानक रद्द कर दिया गया। इससे न केवल उम्मीदवारों के सपने टूटे, बल्कि उनकी जेबें भी खाली हो गईं।
क्या हुआ पूरा मामला?
- दिसंबर 2024 में MPPSC ने 120 पदों पर FSO भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया।
- 1 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन किया, जिनमें से प्रत्येक ने ₹540 फीस जमा की।
- आयोग ने कुल ₹5.4 करोड़ इकट्ठा किए, लेकिन न तो परीक्षा हुई और न ही भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ी।
- अप्रैल में आयोग ने एक लाइन का नोटिफिकेशन जारी करके परीक्षा रद्द कर दी और पदों की संख्या घटाकर मात्र 67 कर दी।
युवाओं की मेहनत और पैसा दोनों डूबा
आयोग ने बिना किसी ठोस कारण के परीक्षा रद्द कर दी, लेकिन फीस वापस नहीं की। लाखों युवाओं ने कोचिंग, किताबें और किराए पर पैसा खर्च किया, लेकिन अब उन्हें फिर से नए सिरे से आवेदन करने के लिए फीस भरनी होगी।
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"हमारे भरोसे का मजाक बनाया" – रिया बैरागी
13 साल से तैयारी कर रहीं रिया बैरागी का कहना है, "यह सिर्फ एक परीक्षा रद्द करने का मामला नहीं है, बल्कि हमारे भरोसे और मेहनत का मजाक बनाया गया है। हमारा पैसा और सपना दोनों डूब गए।"
"पिता ने कर्ज लेकर भेजा, अब क्या जवाब दूँ?" – भगवत रावत
श्योपुर के भगवत रावत ने इंदौर में किराए के कमरे में रहकर तैयारी की। उनके पिता ने कर्ज लेकर उन्हें पढ़ने भेजा था। अब उनके सामने फिर से फीस भरने की चुनौती है।
आयोग का रवैया: पैसा कमाने की मशीन?
MPPSC पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि वह परीक्षाओं से ज्यादा फॉर्म फीस पर फोकस करता है। जब केंद्र सरकार ने योग्यता मानदंड बदले, तो आयोग ने एक महीने तक चुप्पी साधे रखी और फिर अचानक परीक्षा रद्द कर दी।
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के राधे जाट कहते हैं, "आयोग ने उम्मीदवारों का पैसा, समय और आत्मविश्वास तीनों को नष्ट किया है। अब नए नोटिफिकेशन के नाम पर फिर से पैसा वसूला जा रहा है।"
युवाओं की मांग: न्याय चाहिए
युवाओं ने MPPSC के खिलाफ आवाज उठाई है और मांग की है कि:
- रद्द की गई परीक्षा की फीस वापस लौटाई जाए।
- FSO के पदों की संख्या बढ़ाई जाए।
- Assistant Professor और SET परीक्षाओं की तारीखें जल्द घोषित की जाएं।
- राज्य सेवा मुख्य परीक्षा-2025 का शेड्यूल जारी किया जाए।
निष्कर्ष: भ्रष्टाचार vs बेरोजगारी
MPPSC का यह कदम सिर्फ एक administrative failure नहीं, बल्कि युवाओं के साथ धोखा है। जब तक आयोग पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं दिखाता, तब तक ऐसे scandals रुकने वाले नहीं हैं। बेरोजगार युवाओं का सवाल है – "क्या उनके सपनों की कीमत सिर्फ ₹540 है?"
"अब हिम्मत नहीं बची," – गजेंद्र जैसे कई युवा private jobs की तरफ मुड़ रहे हैं, क्योंकि सरकारी नौकरियों का सपना अब उन्हें एक scam लगने लगा है।