मध्यप्रदेश ओपन स्कूल में दैनिक वेतनभोगी और आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने पर विवाद

मध्यप्रदेश ओपन स्कूल में दैनिक वेतनभोगी और आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने पर विवाद  

 राज्य ओपन स्कूल ने नियमों को ताक पर रखकर कर्मचारियों को किया नियमित  

भोपाल, मध्यप्रदेश – मध्यप्रदेश राज्य ओपन स्कूल ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने के साथ-साथ आउटसोर्स कर्मियों को भी स्थायी नौकरी दे दी है, जबकि शासन के नियमों के अनुसार ऐसा करने का कोई प्रावधान नहीं है। इस मामले में विभागीय अधिकारियों पर नियमों की अनदेखी करने के आरोप लग रहे हैं। यह मामला अब मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और लोकायुक्त तक पहुंच गया है।  

दैनिक वेतनभोगी और आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने पर विवाद
दैनिक वेतनभोगी विवाद

   क्या है पूरा मामला? 

 1. दैनिक वेतनभोगियों और आउटसोर्स कर्मियों को मिली नियमित नौकरी  

  •  मध्यप्रदेश ओपन स्कूल ने 26 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के साथ-साथ 10 आउटसोर्स कर्मियों को भी नियमित कर दिया।  
  •  ये आउटसोर्स कर्मचारी एमपी कॉन फर्म के माध्यम से काम कर रहे थे, जिन्हें अचानक स्थायी नौकरी दे दी गई।  
  •  जब अन्य कर्मचारियों को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज निकाले और शिकायत दर्ज कराई।  

 2. शासन ने पहले ही खारिज किया था प्रस्ताव  

  •  ओपन स्कूल के संचालक ने 16 जनवरी 2017 को दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, लेकिन इसे अमान्य कर दिया गया था।  
  •  इसके बावजूद, विभाग ने नियमों की अनदेखी करते हुए इन कर्मचारियों को नियमित कर दिया।  

   क्या कहते हैं नियम?  

 1. दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने की शर्तें 

  •  7 अक्टूबर 2016 के सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश के अनुसार:  
  •  केवल वही दैनिक वेतनभोगी नियमित हो सकते हैं, जो 16 मई 2007 से 1 सितंबर 2016 तक लगातार कार्यरत रहे हों।  
  •  नियमित करते समय भी उनका कार्यरत होना जरूरी है।  
  •  संविदा, अंशकालीन और आउटसोर्स कर्मियों के लिए यह योजना लागू नहीं होती।  

 2. आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं  

  •  शासन के नियमों के मुताबिक, आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा सकता।  
  •  फिर भी, ओपन स्कूल ने 10 आउटसोर्स कर्मियों को स्थायी नौकरी दे दी, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है। 

   विभाग का बचाव – "नियमों के तहत ही कार्रवाई हुई"  

ओपन स्कूल के संचालक प्रभात राज तिवारी ने इस मामले पर कहा:  

-"आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है और न ही ऐसा किया गया है। जिन्हें नियमित किया गया है, वे नियमों के अनुसार ही पात्र हैं। हो सकता है कि कुछ कर्मचारी शुरुआत में आउटसोर्स के तौर पर काम करते रहे हों, लेकिन बाद में उन्हें दैनिक वेतनभोगी बना दिया गया हो।" 

हालांकि, शिकायतकर्ताओं का दावा है कि विभाग ने नियमों को दरकिनार करके यह फैसला लिया है।  

   अब क्या होग आगे?  

  •  इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और लोकायुक्त को भेजी गई है।  
  •  शासन द्वारा जांच के आदेश जारी किए जा सकते हैं।  
  •  यदि नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो नियमित किए गए कर्मचारियों की नौकरी रद्द भी हो सकती है।  

   निष्कर्ष  

मध्यप्रदेश ओपन स्कूल द्वारा दैनिक वेतनभोगियों और आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने का फैसला विवादों में घिर गया है। शासन के स्पष्ट नियमों के बावजूद, विभाग ने इस प्रक्रिया को अंजाम दिया है, जिस पर पारदर्शिता और नियमों के पालन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।  

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